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KHWAAB

आज एक महफ़िल में बैठे वहाँ के माहौल को देखते - सुनते कुछ अल्फ़ाज़ दिमाग में आये , जिनको उसी रूप में बिना किसी सही-गलत के तराज़ू में तोले हुए आप सब के साथ साँझें कर रहा हूँ।

आज भी बैठा हूँ कुछ ख्वाबज़ादों की महफ़िल में ,
लगा हुआ  है ख्वाबों का  मेला ,
पतंगों के जैसे उड़ रहें हैं ख्वाब हवा में ,
रंग-बिरंगा हो गया आसमान यह नीला ,
जहाँ तक भी जा रही है नज़र ,
नज़र आ रहें हैं तो बस ख्वाब ही ख्वाब ,
किसी का परिंदों की तरह उड़ने का ख्वाब ,
तो किसी का सिकंदर बन दुनिया जीतने का ख्वाब ,
पर असलियत से बेखबर हर एक नज़र ,
जाने ना कि यह ख्वाब आख़िर हैं तो ख्वाब ,
पतंगों का ही दूसरा रूप दूसरा नाम हैं ख्वाब ,
और पतंगों के जैसे ही होता इनका अंजाम ,
हमेशा खेल नहीं सकते हवाओं के संग ,
एक ना एक दिन चाहते न-चाहते
आ कर ज़मीन पर ही गिरेंगे यह ख्वाब ,
ख़ैर कल की सोचेंगे कल को ,
जो होगा देखा जायेगा उस पल को ,
आओ इन ख्वाबज़ादों के संग हम भी देखें कुछ ख्वाब।
क्यूंकि चाहे ख्वाब में ही सही हर ख्वाब दिल बहलाता तो है ,
माना कि इस जोकर की औकात नहीं उड़ने की ,
फिर भी हवा का झोंका मन को भाता तो है ,
वो कहते हैं ना , बेरंग ही सही पर इन रंगों से नाता तो है।



Aaj bhi betha hu kuch khwaabzadon ki mehfil mein ,
Lga hua hai khwaabon ka mela,
Patangon ke jaise udh rhe hain khwaab hawa mein ,
Rang biranga ho gya aasman yeh neela ,
Jahan tak bhi jaa rhi hai nazar ,
Nazar aa rhe hain to bas khwaab hi khwaab ,
Kisi ka parindon ki trah udhne ka khwaab ,
To kisi ka sikander ban duniya jeetne ka khwaab ,
Par asliyat se bekhabar har ek nazar ,
Jaane na ke yah khwaab akhir hain to khwaab ,
Patangon ka hi dusra roop dusra naam hai khwaab ,
Aur patangon ke jaise hi hota inka anjaam ,
Hamesha udh nahi sakte hawaon ke sang ,
Ek na ek din chahte na-chahte
aa kar zameen par hi girenge yeh khwaab ,
Khair kal ki sochenge kal ko ,
Jo hoga dekha jayega us pal ko ,
Aao in khwaabzadon ke sang hum bhi dekhein kuch khwaab ..
Kyunki chahe khwaab mein hi sahi har khwaab dil behlaata to hai ,
Maana ke is joker ki aukaat nai udhne ki ,
Fir bhi hawa ka jhaunka mann ko bhaata to hai ,
Wo kehte hain na , berang hi sahi par in rangon se naata to hai .....

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