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Showing posts from November, 2019

PRIYANKA REDDY

सिर्फ नाम बदलता है चेहरा बदलता है ज़ुल्म तो वही है पाप तो वही है तकलीफ़ तो वही है मौत तो वही है सिर्फ एक दो दिन की बातें या फिर एक दो न-गुज़र सी रातें फिर भूल जायेंगे हम जब तक कोई और ना बन जाये नई निर्भया नई आसिफा या फिर प्रियंका रेड्डी क्या उम्र क़ैद क्या फांसी की सज़ा बस एक बार देदो जो ज़ुल्म वही सज़ा करो बालात्कार उनका भी बना कर टीवी पर चलादो MMS उनका टुकड़े टुकड़े करदो उनके जिस्म के या जलाकर फेँकदो झाड़ियों में लाश उनकी या जनता की अदालत में देदो मुकदमा उनका और पीड़िता के माँ-बाप को बनादो जज वहां का या फिर चौराहे में सूली पर गुप्तांग से लटकादो उनको या फिर गुप्तवास में चलादो गोली उनके जो भी करो लेकिन ऐसी सज़ा जरूर दो उनको ता जो फिर से कोई और ना बन जाये नई निर्भया नई आसिफा या फिर प्रियंका रेड्डी माफ़ करना आज कुछ अच्छे से लिख नहीं पाया क्यूँकि मेरे हाथ कांप रहे हैं मेरी कलम कांप रही है मेरा दिल कांप रहा है मेरी रूह कांप रही है हर बार यह सोच कर मैं कांप उठता हूँ कि क्यूँ नहीं कांपती ज़मीर उनकी जब वो नोच रहे होते हैं कोमल मासूम से जिस्म क्यूँ नहीं दिखती उनको तस्व

SAINIK

A Tribute to our Soldiers who lost their lives in Siachen Avalanche क्या बात करूँ अपने सैनिक वीरों की  हर बार ही लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं  ज़िक्र करूँ जो उनके बलिदानों का  मेरे अपने फ़र्ज़ कम पड़ जाते हैं  वो खड़े हैं जो देश की लकीरों पर  तभी कागज़ की लकीरों पर गीत लिखो रहे हैं  वो जाग रहे हैं तभी हम सो रहे हैं ।  वो जाग रहे हैं तभी हम सो रहे हैं ।।   वो जिनकी सारी जवानी सरहद पर है  जिनकी हर ईद - दिवाली सरहद पर है , वो जो इतना कुछ सहते हुए भी भर नहीं जाते  वो जो साल साल भर अपने घर नहीं जाते , वो जिन्होंने अपने बच्चों के बढ़ते अरमान नहीं देखे  वो जिन कईओं ने अपने माँ बाप के शमशान नहीं देखे , वो जो सर्दी-गर्मी, सुख-दुख अकेले सह रहे हैं  फिर भी वंदे-मातरम हस कर कह रहे हैं , वो जिनके बटुए में बंद उनके प्यार हैं  वो जो देश के लिए मरने-मारने को त्यार हैं , वो जिनकी बहादुरी - इस देश की निशानी है  और जिनकी शहादत - अखबार के छठे पेज के एक छोटे से कॉलम की कहानी है , वो जो चुप चाप सरहद पर अपना धर्म निभा रहे हैं  और हम जैसे घर बैठे देश भक्ति के राग रो रहे हैं ,