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PRIYANKA REDDY


सिर्फ नाम बदलता है चेहरा बदलता है
ज़ुल्म तो वही है पाप तो वही है
तकलीफ़ तो वही है मौत तो वही है

सिर्फ एक दो दिन की बातें
या फिर एक दो न-गुज़र सी रातें

फिर भूल जायेंगे हम
जब तक कोई और ना बन जाये
नई निर्भया नई आसिफा या फिर प्रियंका रेड्डी

क्या उम्र क़ैद क्या फांसी की सज़ा
बस एक बार देदो जो ज़ुल्म वही सज़ा

करो बालात्कार उनका भी
बना कर टीवी पर चलादो MMS उनका

टुकड़े टुकड़े करदो उनके जिस्म के
या जलाकर फेँकदो झाड़ियों में लाश उनकी

या जनता की अदालत में देदो मुकदमा उनका
और पीड़िता के माँ-बाप को बनादो जज वहां का

या फिर चौराहे में सूली पर
गुप्तांग से लटकादो उनको
या फिर गुप्तवास में चलादो गोली उनके

जो भी करो लेकिन ऐसी सज़ा जरूर दो उनको
ता जो फिर से कोई और ना बन जाये
नई निर्भया नई आसिफा या फिर प्रियंका रेड्डी

माफ़ करना आज कुछ अच्छे से लिख नहीं पाया
क्यूँकि मेरे हाथ कांप रहे हैं मेरी कलम कांप रही है
मेरा दिल कांप रहा है मेरी रूह कांप रही है
हर बार यह सोच कर मैं कांप उठता हूँ
कि क्यूँ नहीं कांपती ज़मीर उनकी
जब वो नोच रहे होते हैं कोमल मासूम से जिस्म
क्यूँ नहीं दिखती उनको तस्वीर उनकी
जो उनके अपने घर खेल रही हैं
कोई निर्भया कोई आसिफा या फिर प्रियंका रेड्डी ।।


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NA MANZOORI

ਮੈਂ ਸੁਣਿਆ ਲੋਕੀਂ ਮੈਨੂੰ ਕਵੀ ਜਾਂ ਸ਼ਾਇਰ ਕਹਿੰਦੇ ਨੇ  ਕੁਝ ਕਹਿੰਦੇ ਨੇ ਦਿਲ ਦੀਆਂ ਦੱਸਣ ਵਾਲਾ  ਕੁਝ ਕਹਿੰਦੇ ਨੇ ਦਿਲ ਦੀਆਂ ਬੁੱਝਣ ਵਾਲਾ  ਕੁਝ ਕਹਿੰਦੇ ਨੇ ਰਾਜ਼ ਸੱਚ ਖੋਲਣ ਵਾਲਾ  ਤੇ ਕੁਝ ਅਲਫਾਜ਼ਾਂ ਪਿੱਛੇ ਲੁੱਕਿਆ ਕਾਇਰ ਕਹਿੰਦੇ ਨੇ  ਪਰ ਸੱਚ ਦੱਸਾਂ ਮੈਨੂੰ ਕੋਈ ਫ਼ਰਕ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ  ਕਿ ਕੋਈ ਮੇਰੇ ਬਾਰੇ ਕੀ ਕਹਿੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਕੀ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਕਹਿੰਦਾ  ਕਿਉਂਕਿ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਕੋਈ ਕਵੀ ਜਾਂ ਸ਼ਾਇਰ ਨਹੀਂ ਮੰਨਦਾ  ਕਿਉਂਕਿ ਮੈਂ ਅੱਜ ਤਕ ਕਦੇ ਇਹ ਤਾਰੇ ਬੋਲਦੇ ਨਹੀਂ ਸੁਣੇ  ਚੰਨ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਵੱਲ ਵੇਖ ਸ਼ਰਮਾਉਂਦੇ ਨਹੀਂ ਦੇਖਿਆ  ਨਾ ਹੀ ਕਿਸੇ ਦੀਆਂ ਜ਼ੁਲਫ਼ਾਂ `ਚੋਂ ਫੁੱਲਾਂ ਵਾਲੀ ਮਹਿਕ ਜਾਣੀ ਏ  ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਕਿਸੇ ਦੀਆਂ ਵੰਗਾਂ ਨੂੰ ਗਾਉਂਦੇ ਸੁਣਿਆ  ਨਾ ਹੀ ਕਿਸੇ ਦੀਆਂ ਨੰਗੀਆਂ ਹਿੱਕਾਂ `ਚੋਂ  ਉੱਭਰਦੀਆਂ ਪਹਾੜੀਆਂ ਵਾਲਾ ਨਜ਼ਾਰਾ ਤੱਕਿਆ ਏ  ਨਾ ਹੀ ਤੁਰਦੇ ਲੱਕ ਦੀ ਕਦੇ ਤਰਜ਼ ਫੜੀ ਏ  ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਸਾਹਾਂ ਦੀ ਤਾਲ `ਤੇ ਕਦੇ ਹੇਕਾਂ ਲਾਈਆਂ ਨੇ  ਪਰ ਮੈਂ ਖੂਬ ਸੁਣੀ ਏ  ਗੋਹੇ ਦਾ ਲਵਾਂਡਾ ਚੁੱਕ ਕੇ ਉੱਠਦੀ ਬੁੜੀ ਦੇ ਲੱਕ ਦੀ ਕੜਾਕ  ਤੇ ਨਿਓਂ ਕੇ ਝੋਨਾ ਲਾਉਂਦੇ ਬੁੜੇ ਦੀ ਨਿਕਲੀ ਆਹ  ਮੈਂ ਦੇਖੀ ਏ  ਫਾਹਾ ਲੈ ਕੇ ਮਰੇ ਜੱਟ ਦੇ ਬਲਦਾਂ ਦੀ ਅੱਖਾਂ `ਚ ਨਮੋਸ਼ੀ  ਤੇ ਪੱਠੇ ਖਾਂਦੀ ਦੁੱਧ-ਸੁੱਕੀ ਫੰਡਰ ਗਾਂ ਦੇ ਦਿਲ ਦੀ ਬੇਬਸੀ  ਮੈਂ ਸੁਣੇ ਨੇ  ਪੱਠੇ ਕਤਰਦੇ ਪੁਰਾਣੇ ਟੋਕੇ ਦੇ ਵਿਰਾਗੇ ਗੀਤ  ਤੇ ਉਸੇ ਟੋਕੇ ਦੀ ਮੁੱਠ ਦੇ ਢਿੱਲੇ ਨੱਟ ਦੇ ਛਣਛਣੇ  ਮੈਂ ਦੇਖਿਆ ਏ 

अर्ज़ी / ARZI

आज कोई गीत या कोई कविता नहीं, आज सिर्फ एक अर्ज़ी लिख रहा हूँ , मन मर्ज़ी से जीने की मन की मर्ज़ी लिख रहा हूँ । आज कोई ख्वाब  , कोई  हसरत  या कोई इल्तिजा नहीं , आज बस इस खुदी की खुद-गर्ज़ी लिख रहा हूँ ,  मन मर्ज़ी से जीने की मन की मर्ज़ी लिख रहा हूँ ।  कि अब तक जो लिख-लिख कर पन्ने काले किये , कितने लफ्ज़ कितने हर्फ़ इस ज़ुबान के हवाले किये , कि कितने किस्से इस दुनिआ के कागज़ों पर जड़ दिए , कितने लावारिस किरदारों को कहानियों के घर दिए , खोलकर देखी जो दिल की किताब तो एहसास हुआ कि अब तक  जो भी लिख रहा हूँ सब फ़र्ज़ी लिख रहा हूँ। लेकिन आज कोई दिल बहलाने वाली झूठी उम्मीद नहीं , आज बस इन साँसों में सहकती हर्ज़ी लिख रहा हूँ , मन मर्ज़ी से जीने की मन की मर्ज़ी लिख रहा हूँ । कि आवारा पंछी हूँ एक , उड़ना चाहता हूँ ऊँचे पहाड़ों में , नरगिस का फूल हूँ एक , खिलना चाहता हूँ सब बहारों में , कि बेबाक आवाज़ हूँ एक, गूँजना चाहता हूँ खुले आसमान पे , आज़ाद अलफ़ाज़ हूँ एक, गुनगुनाना चाहता हूँ हर ज़ुबान पे , खो जाना चाहता हूँ इस हवा में बन के एक गीत , बस आज उसी की साज़-ओ-तर्ज़ी लिख रहा हूँ। जो चुप-

BHEED

भीड़    इस मुल्क में    अगर कुछ सबसे खतरनाक है तो यह भीड़ यह भीड़ जो ना जाने कब कैसे  और कहाँ से निकल कर आ जाती है और छा जाती है सड़कों पर   और धूल उड़ा कर    खो जाती है उसी धूल में कहीं   लेकिन पीछे छोड़ जाती है   लाल सुरख गहरे निशान   जो ता उम्र उभरते दिखाई देते हैं   इस मुल्क के जिस्म पर लेकिन क्या है यह भीड़   कैसी है यह भीड़    कौन है यह भीड़   इसकी पहचान क्या है   इसका नाम क्या है   इसका जाति दीन धर्म ईमान क्या है   इसका कोई जनम सर्टिफिकेट नहीं हैं क्या   इसका कोई पैन आधार नहीं है क्या   इसकी उँगलियों के निशान नहींं हैं क्या इसका कोई वोटर कार्ड या    कोई प्रमाण पत्र नहीं हैं क्या   भाषण देने वालो में   इतनी चुप्पी क्यों है अब इन सब बातों के उत्तर नहीं हैं क्या उत्तर हैं उत्तर तो हैं लेकिन सुनेगा कौन सुन भी लिया तो सहेगा कौन और सुन‌कर पढ़कर अपनी आवाज़ में कहेगा कौन लेकिन अब लिखना पड़ेगा अब पढ़ना पड़ेगा  कहना सुनना पड़ेगा सहना पड़ेगा और समझना पड़ेगा कि क्या है यह भीड़ कैसी है यह भीड़  कौन है यह भीड़ कोई अलग चेहरा नहीं है इसका  कोई अलग पहरावा नहीं है इसका कोई अलग पहचान नहीं है इसकी क