Akhri Dua - Punjabi Poem

 ਰੱਬ ਕਰੇ ਇਹ ਰੂਹ ਮੇਰੀ ਜੁਦਾ ਇਸ ਦੇਹ ਤੋਂ ਹੋ ਜਾਵੇ 

ਖੰਭ ਲਗਾ ਕੇ ਮਾਰ ਉਡਾਰੀ ਓਹਦੀ ਜੂਹੇ ਜਾਣ ਖਲੋ ਜਾਵੇ 

ਓਹਦੇ ਪੈਰਾਂ ਨੂੰ ਚੁੰਮੇ ਓਹਦੇ ਚਾਰ - ਚੁਫ਼ੇਰੇ ਘੁੰਮੇ 

ਓਹਦੀ ਕਰੇ ਪਰਿਕਰਮਾ ਓਹਦੇ ਦਰ ਦੀ ਖੇਹ ਹੋ ਜਾਵੇ 

ਰੱਬ ਕਰੇ ਇਹ ਰੂਹ ਮੇਰੀ ਜੁਦਾ ਇਸ ਦੇਹ ਤੋਂ ਹੋ ਜਾਵੇ 


ਓਹਦੇ ਬੈਠ ਬਨੇਰੇ ਬਿੜਕਾਂ ਲਵੇ ਵਾਂਗ ਕਾਲਿਆਂ ਕਾਵਾਂ 

ਹਰ ਸਾਹ ਓਹਦੇ ਨਾਲ ਰਹੇ ਬਣ ਓਹਦਾ ਪਰਛਾਵਾਂ 

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Gham Mein Hun


मैं ग़म में हूँ 


मैं ग़म में हूँ 

ग़मों के यम में हूँ

मैं मर गया मुझमें ही कहीं 

मैं ख़ुद ख़ुदी के मातम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


महकते फूल तरसते रहे 

चंद मोतियों के लिए 

मैं किसी गंद पे गिरी शबनम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


जो किसी ने दी

किसी को महज़ तोड़ने के लिए 

मैं किसी के सिर की झूठी क़सम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


ज़िंदगी के रास्ते में 

पिछड़ गया मैं ख़ुद से 

लेकिन दुनिया के काफ़िले में मुक़द्दिम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


अपनी नज़रों में 

बिख़र गया हूँ तिनका तिनका करके 

यूँ आईने में देखूँ तो मुसल्लम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


तुम हमदम हो गए 

किसी ग़ैर के संग 

मैं अभी भी तेरे मेरे वाले हम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


कैसे चल लेते हो 

बेवफ़ाई संग अकड़ कर 

मैं तो वफ़ा संग भी ख़म में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


खाने से पहले तुम्हारे लिए 

निकाल देता हूँ पहला निवाला 

मैं अभी भी उस मुहब्बत के उस नियम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


अरे! मत दो मुझे 

हंसी की दावत का न्योता 

मैं खुशियों की बरादरी में महरम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


लोग यूँ ही जलते रहे 

देख हमारे रोशन चुबारे 

मैं अँधेरे कमरों में बसे सहम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


वो ढूँढ़ते रहे मुझे 

अल्फ़ाज़ों में कहीं 

मैं कलम की कोख़ में गिरी किसी नज़्म में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 

ग़मों के यम में हूँ 


लाभांश :

जो कभी गिन रहा था

लाशें, दंगे फैला कर 

मैं अंधी हुजूम के उस गंदे हाकिम में हूँ 

मैं ग़म में हूँ 


अर्थ :

यम  - समुंदर / लहर 

मुक़द्दिम  - आगे चलने वाला 

मुसल्लम  - पूरा / अखंड 

ख़म  - झुका हुआ 

महरम  - हराम / वर्जित 

हुजूम  - जनसमूह 

हाकिम  - शासक