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Showing posts from August, 2020

AAINA

अक्स :  चल आज तुझे तेरी असलियत दिखाता हूँ  इस चेहरे के पीछे छुपा जो उससे मिलाता हूँ  उसके सारे दबे-छुपे राज़ बताता हूँ  सारे सच तेरे सामने लाता हूँ  याद कर  जब माँ-बाप से अपनी गलतियाँ छुपाता था  अपने रिज़ल्ट फेल से पास बनाता था  पहले किताबों के पीछे कॉमिक्स और फिर मोबाइल छुपाता था  बोल नाम भी बतादूँ क्या जिससे चक्कर चलाता था  याद कर  जब पहली नौकरी मिली थी तो घर पे तनख़्वाह बढ़ा कर बताई थी  कहता था अच्छे फ़्लैट में रहता हूँ बड़े बैड पर सोता हूँ  लेकिन असल में वो छोटा सा कमरा था जिसमें ना चारपाई थी  याद कर जब सपनों में रहता था लेकिन नींद से लड़ाई थी  ' हाँ खाना खा लिया है सोने लगा हूँ  '  कितनी बार यह बोलकर अपनी भूख छुपाई थी  याद कर  जिसे दिल से चाहता था क्यूँ उसी का दिल दुखाया था  ' शादी से कोई ऐतराज़ तो नहीं ? ' क्यूँ घर वालों से हाल-ए-दिल छुपाया था  क्यूँ अपने प्यार को हक़ और हक़ को प्यार दे ना पाया था  याद कर क्यूँ इतनी ज़िंदगियों का तुमने तमाशा बनाया था  सुन ! अब यूँ चेहरा घुमा के तुम सच को घुमा नहीं सकते  खुद को मिटा सकते हो लेकिन मुझे मिटा नहीं सकते  मैं अक्स हूँ तुम्हारा म